अमरूद और हल्दी की मिश्रित खेती से कमाए दोहरा लाभ
अमरुद भारत में बहुत ही प्रचलित फल है जिसे बच्चे से लेकर बूढ़े तक और गरीब से लेकर अमीर तक सब लोग पसंद करते हैं वह यह आसानी से बिकने वाला फल है जिस की खेती कर किसान एक अच्छे आमदनी कमा सकते हैं वह इसी के साथ हल्दी की खेती कर दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं हल्दी का भी व्यवसायिक तौर पर भारत में मांग रहती है हम हमारे भोजन में और रोजमर्रा की जिंदगी में हल्दी का बहुत से कार्य में उपयोग में लाते हैं जैसे भोजन एंटीसेप्टिक क्रीम दवाइयां आदि वह इन दोनों की मिश्रित खेती कर किसान एक अच्छे आमदनी कमा कर एक अच्छा जीवन यापन व्यतीत कर सकते हैं आइए जानते हैं कैसे करें अमरूद और हल्दी की मिश्रित खेती
मिट्टी और जलवायु का चुनाव
सामान्य तो भारत में अमरूद और हल्दी की खेती अधिक ठंडे और अधिक गर्मी वाले स्थानों को छोड़कर सभी की स्थानों पर की जा सकती है जिसमें मध्य प्रदेश राजस्थान पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में भी इसकी खेती की जा रही है इसके लिए शुष्क जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त पाई गई है अमरुद के पौधे ना अधिक गर्मी ना अधिक ठंड को सहन कर पाते हैं मौसम में होने वाले उतार-चढ़ाव सेव फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है
अमरूद और हल्दी की प्रमुख किस्में
भारत में मुख्यतः अमृत्व हल्दी की कई किस्मों की खेती की जाती है
अमरूद की किस्में:- l 49, Taiwan pink, वीएनआर, बर्फ गोला, इलाहाबादी सफेदा प्रमुख है
हल्दी की किस्में:- देसी हल्दी, सेलम, कोयंबटूर हल्दी, कृष्णा, सुगुना, सुदर्शन
भारत में सबसे ज्यादा प्रचलित और अधिक मांग की जाने वाली अमरूद की फसल में ताइवान पिंक और वीएनआर है वह हल्दी की बात करें तो सेलम और देसी हल्दी की अधिक मांग रहती हैं ताइवान पिंक मिठास के साथ फल तोड़ने के बाद इसे 10 से 15 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है इसलिए इसकी व्यापारिक तौर पर मांग बढ़ी हुई है वह देसी व सेलम हल्दी उत्पादन में अधिक होने के कारण इसकी अधिक मांग रहती हैं वह स्वाद में भी यह अच्छा होता है
खेत की तैयारी
खेत को तैयार करते समय ध्यान रखें कि खरपतवार ना हो खरपतवार होने पर उसकी जुताई करें और बारिश से पहले उसमें गोबर की अच्छी साड़ी खाद में जेव कल्चर मिलाकर खेत में अच्छी तरह दिखे रे वह इसे रोटावेटर की सहायता से खेत में मिला है इसके बाद पौध रोपण का कार्य करें
बुवाई कैसे करें
बारिश के शुरुआत में आप दोनों फसलों की बुवाई कर सकते हैं जिसमें आप हल्दी की कोई भी वैरायटी का उपयोग ले सकते हैं वह ध्यान रखें अगर आप हल्दी को सब्जी के तौर पर बेचना चाहते हैं तो इसकी बुवाई से पहले इसे किसी नमी वाली स्थान पर रखें जिसमें अंकुरण समय पर हो जाता है वॉइस के गानों को छोटे टुकड़ों में तोड़ ले जिससे वह डांटे अंकुरित होकर अधिक बीच का कार्य करें
बुवाई करने के लिए ध्यान रखें कि अगर आप ताइवान पिंक अमरूद की फसल लगाते हैं तो इसे आप इजराइल की तकनीक के द्वारा सघन बागवानी पर आधारित इसकी दूरी में लगा सकते हैं जिसमें अधिक से अधिक पौधे लगाकर कम जमीन में अधिक मुनाफा कमाया जाता है इसमें आप 9 फीट से पौधे की लाइन की दूरी और पौधे से पौधे की दूरी 5 फीट रखकर पौधारोपण कर सकते हैं पौधारोपण से पहले खेत में हर 9 फीट पर नाली उस नाली में पांच पांच फीट की दूरी रखकर पौधे लगाए पौधे लगाने के लिए नाली में गड्ढा करके पौधरोपण करें पौधरोपण के बाद पानी से अच्छी तरह सिंचाई कर ड्रिप बिछा सकते हैं आप वह फिर गोबर की अच्छी तरह जांच लें कि खाद अच्छी तरह खड़ी हो खाद अगर सही नहीं होगी तो वह पौधों की जड़ों में फंगस को जन्म देगी इसलिए सावधानी रखें और ओवर की अच्छी साड़ी खाद को वेस्ट डी कंपोजर के बैक्टीरिया और जैविक बैक्टीरिया मिलाकर नाली में पौधों के बीच में रहने वाले खाली स्थान पर हर 5 फीट के बीच में खाली स्थान पर खाद को अपनी आवश्यकता अनुसार बिखेर दें व क्यारियां बनाने वाले उपकरण की सहायता से ट्रैक्टर द्वारा मिट्टी चढ़ा देवें जिससे वह खाद मिट्टी के नीचे दब जाए वह किसी अन्य उपकरण से 9 फीट वाली जगह में एक मेड बनाएं इसमें आप ट्रैक्टर का उपयोग कर सकते हैं वह उस मेड पर हल्दी की रोपाई हर एक 1 फीट की दूरी पर करें जिससे वहां हल्दी की खेती की जा सकती हैं
सिचाई कैसे करें
अमरूद की फसल में पर्याप्त पानी होने पर हर 15 दिन में वह गर्मियों में हर 7 दिन में आप सिंचाई कर सकते हैं वह फल लेते समय फूल आने पर अच्छी तरह सिंचाई कर और खाद और खुराक का ध्यान रखकर आप एक अच्छा मुनाफा एक अच्छे आमदनी ले सकते हैं
खरपतवार और कीट नियंत्रण और खाद
समय-समय पर निराई गुड़ाई करते रहें और खरपतवार होने पर उन्हें उखाड़ कर नष्ट कर दें जिससे खरपतवार नियंत्रित होता है और इन्हें गुड़ाई करने से भूमि भुरभुरी बनी रहती है अमरूद में कीड़ों का प्रकोप मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में देखा गया है जिसमें फल मक्की कि जैसे कीड़ों का अधिक प्रकोप होता है इसके लिए आप पवेलियन बेसियामा जो कि एक जेब कल्चर है उसका उपयोग कर सकते हैं इसे आप पौधों और मिट्टी गीली होने पर मिट्टी पर भी छिड़काव कर सकते हैं यह सूक्ष्मजीव सभी पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवो की बढ़ती हुई प्रजाति को नियंत्रित करता है वह जड़ों में होने वाली समस्याओं से बचने के लिए आप ट्राइकोडरमा सुड़ोमोनास को ड्रिप इरिगेशन की सहायता से सिंचाई के समय पौधों की जड़ों के पास दे सकते हैं यह व्यक्ति दिया पौधों में जड़ों की समस्याओं में निजात दिलाता है वह साथ ही ह्यूमिक एसिड को पानी में घोलकर ड्रिप की सहायता से पौधों में पहुंचाएं वह साथ ही जैविक कल्चर और जैविक खाद का उपयोग करें जब आप अमरूद की फसल में जैव कल्चर का उपयोग करेंगे तो उसका फायदा हल्दी की फसल में भी आपको मिलेगा
उपज की तुड़ाई
अमरूद में फूल से फल बनने में 130 से 140 दिन का समय लगता है जब फलों का रंग हरे कलर से हल्का पीला पड़ने लगता है तब फल पकने की स्थिति में आ जाते हैं वह फूल के लगने के 1 महीने बाद आप इसमें पोटाश के बैक्टीरिया का छिड़काव करें जिससे फलों का अच्छा विकास होता है वह वजन में भी भारी होते हैं हल्के पीले पड़ने पर आप फलों की तुड़ाई कर सकते हैं वैसे तो पूरे साल अमरूद की फसल ली जा सकती हैं किंतु वर्षा ऋतु व शीत ऋतु में इसकी फसल लेना अधिक लाभप्रद होता है अगर हम ताइवान अमरूद की बात करें तो यह अपने पहले वर्ष में 10 किलो और दूसरे वर्ष में 20 से 25 किलो तक फल देने में सक्षम है इसे आप प्रतिदिन तोड़ाई करके बाजार में भी भेज सकते हैं जिससे रोज की आमदनी ले सकते हैं वह हल्दी की फसल की पर लेने के लिए इसके पत्ते सूख कर गिर जाए तब आप इसे खोदकर निकाल सकते हैं और अगर आप इसका सब्जी के तौर पर बेचना चाहते हैं तो इसे श्रीति तू में नवंबर व दिसंबर में खोद कर निकाले वह अच्छी तरह धोकर साफ करके बाजार में भेज सकते हैं इसमें आपको अधिक लाभ होता है नीले वजन होने के कारण यह भार में अधिक होती हैं वाह गर्मियों में इसके पत्ते पूरी तरह सूख जाने पर आप इसे निकाल कर किसी ठंडी जगह में घर पर भंडारण कर सकते हैं या फिर आप इसे प्रोसेस कर जिसका पाउडर बनाकर भी बाजार में बेच सकते हैं
हल्दी में और अधिक मुनाफा कमाने के लिए इसे आप वर्षा ऋतु से एक महीना पहले भी वह कर इसकी फसल को नवंबर व दिसंबर में सब्जी के तौर पर बेचकर कमा सकते हैं इसके लिए आपके पास पर्याप्त पानी होना आवश्यक है