हमारे देश में प्याज और अश्वगंधा की खेती कई स्थानों पर की जाती है पर दोनों ही फसलें कंध वाली फसल है दोनों के लिए वातावरण भी एक जैसा ही आवश्यक होता है वह दोनों फसलों की खेती पूरे साल भर की जा सकती है प्याज एक ऐसी फसल है जिसमें सही बाजार मिल जाने पर किसानों को बहुत अच्छे आमदनी होती है पर कहीं बाहर अच्छा बाजार ना मिलने पर और फसल कई बीमारी व प्राकृतिक कारणों से खराब हो जाती है या फिर कम पैदावार की स्थिति में होने वाले अपने नुकसान की भरपाई के लिए आप अश्वगंधा की मिश्रित खेती कर सकते हैं जिससे ना सिर्फ प्याज अपितु अश्वगंधा से भी एक अच्छा लाभ आप प्राप्त करेंगे
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उपरोक्त दोनों खेती यों के बारे में स्पष्ट जानकारी पढ़ लेने के बाद आगे पढ़िए
मिश्रित खेती कैसे करें
प्याज की फसल लगा लेने के बाद प्याज की फसल को उखाड़ने 1 महीने पहले अश्वगंधा की फसल आप हो सकते हैं जिसमें अश्वगंधा के बीजों को बिखेर कर हल्की गुड़ाई कर ले वह कुड़ाई के साथ आज प्याज की अच्छी तरह पके हुए कन्नू की छटाई पर खेत से निकाल ले जिससे अश्वगंधा के लिए कुछ भूमि खाली होती रहेगी ऐसे प्याज की छटनी कर प्याज बेच एक अच्छा मुनाफा कमाए अश्वगंधा को मिनी स्प्रिंकलर के द्वारा सिंचाई कर अंकुरण होने के लिए छोड़ दें जिससे बची हुई प्याज की फसल और अश्वगंधा अंकुरित होगी साथ ही प्याज की फसल अच्छी तरह पकने में और कर्म के विकास में सहायता मिली दोनों ही फसलों के लिए पोटाश फास्फोरस और नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है जिससे आप पोटाश और फास्फोरस के बैक्टीरिया का स्प्रेड कर जैविक तरीके से इनके कंद को विकसित होने में मदद मिलती है वह अश्वगंधा का अंकुरण पौधा बनने में 10 से 15 दिन का समय लगता है साथ ही इस समय में बचे हुए प्याज के कारण अच्छी तरह विकसित हो जाते हैं जिससे प्यार में पैदावार बढ़ जाती है वह प्याज के कंधों को निकालकर आप अच्छे आमदनी कमा सकते हैं वह साथ ही आपकी अश्वगंधा की फसल भी एक महीना पहले ही खेत में लग जाती है जिससे आपका समय की बचत होती है और एक साथ दो फसलें लेकर एक अच्छे आमदनी आप पा सकते हैं