कीवी की खेती 1 एकड़ में 8 लाख रुपए तक की कमाई
कीवी एक फल है यह एक विदेशी फल है जिसकी भारत में आजकल काफी मांग बढ़ रही है विदेशों में इसको अपने स्वास्थ्य वर्धक गुणों और स्वादिष्ट होने के कारण पर जगह खानपान में पसंद किया जाता है इसमें कई एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिंस, मिनरल्स, फाइबर, पोटेशियम, सोडियम जैसी गुणों के कारण इसे इम्यूनिटी बूस्टर फ्रूट भी कहा जाता है इसमें संतरे से भी ज्यादा विटामिन सी मौजूद होता है यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ कई बीमारियों से लड़ने में शरीर को मदद करता है बाजार में अच्छे दाम पर बिकने व किसानों को अच्छा लाभ मिलने और अपने अच्छे गुणों की वजह से देश-विदेश में इसकी मांग काफी बढ़ी हुई है वह हमारे देश में 20 की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है आइए जानते हैं कि विकी बागवानी कैसे करें
भारत में कीवी की खेती कहां की जाती है
भारत में मुख्यतः कीवी की खेती उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नागालैंड, केरल जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े स्तर पर की जा रही है यह सेब की फसल से भी अधिक मुनाफा देने वाली फसल है वह विदेशों में तो कही स्थानों पर इसकी खेती की जाती है
कीवी की खेती के लिए जलवायु का चयन
कीवी की खेती के लिए नए वर्ष की शुरुआत जनवरी का महीना उपयुक्त माना गया है ऐसी जगह जहां साल भर हल्की गर्मी और हल्की ठंड बनी रहे इसमें पानी की भी आवश्यकता से अधिक होती है वह सर्दियों में निम्नतम तापमान 5 से 6 डिग्री सेल्सियस तक रहना चाहिए इसकी खेती बलुई रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी रहती है जिस का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच नाना चाहिए इसकी खेती कलम लगाकर की जा सकती है जिसको अनुकूल परिस्थितियों में पौधा तैयार करके बाग लगाया जा सकता है जिससे पौधे के विकास में तेजी हो
कीवी का पौधा कैसे तैयार करें
कीवी का पौधा तैयार करने के लिए मुख्यतः दो विधियां है जिसमें पहली विधि में 1 साल पुरानी पेंसिल से थोड़ी सी मोटी आकार की अच्छी पक्की शाखाओं को काटकर 20 से 25 सेंटीमीटर की शाखा को रूटिंग हार्मोन उस के निचले हिस्से में लगाकर मिट्टी में गाड़ दें वह इसे पोली हाउस में रख दें या फिर किसी पॉलिथीन की सहायता से ढक दें वॉइस में पानी का छिड़काव करना ना भूले वैसे तेज धूप से दूर रखें इस तरह से लकड़ी के नीचे के हिस्से में रूटिंग हार्मोन की वजह से जड़ों का विकास होने लगेगा वह इसे 1 साल बाद बुवाई में उपयोग लिया जा सकता है तथा दूसरी विधि में ऊंची साका को बिना काटे पौधे पर ही उसका छिलका उतारकर 1 इंच छाल तारो तरफ से छीलकर मिट्टी से लपेट कर पॉलिथीन की सहायता से अच्छी तरह बांदे वह हवा ना जाए इस बात का ध्यान रखें कुछ सप्ताह के बाद इसमें चढ़े निकलने लगती है उसके बाद उस शाखा को पॉलीथिन के पास से काटकर दूसरी जगह लगा दे काटते समय उसे कटर की सहायता से कहते हैं जिससे शाखा के फटने का खतरा नहीं रहता वह कुछ लोग इसके बीज से पूरा कर तैयार करते हैं जिसमें काफी समय के बाद पौधा तैयार होता है माई जून महीने में इसकी सफाई की जा सकती हैं
भारत में कीवी की प्रजातियां
भारत में कीवी की कई प्रजातियां हैं जिसमें से मुख्यतः हेवर्ड, मोंटी, एलिसन, एंबोट, ब्रूनो है इसमें से हेवर्ड प्रजाति काफी प्रचलित है वह इसकी मांग भी अधिक रहती हैं
कैसे करें पौधारोपण
पौधारोपण से पहले खेत को अच्छी तरह समतल कर जल निकासी की व्यवस्था करने के बाद अच्छी तरह गहरी जुताई कर पौधे से पौधे की दूरी 12 फीट और कतार से कतार की दूरी 20 फीट मानकर 1 फीट गहरे गड्ढे खोज ले वहीं गड्ढों में वर्मी कंपोस्ट या फिर गोबर की अच्छी तरह साड़ी खाद डालकर पोधे लगाएं कीवी में नर और मादा पौधे अलग-अलग होते हैं जिसमें 10 पौधों में से एक नर पौधा होना चाहिए हर नो माधव पौधों के साथ एक नर पौधा अवश्य लगाएं वह खेत समतल हो व जल निकास की उत्तम व्यवस्था हो इस बात का ध्यान रखें कीवी में जलभराव के कारण पौधे की जड़ों में रोग लगने के अधिक खतरा होता है
सिंचाई का समय
कीवी के पौधों को पानी की अधिक आवश्यकता होती है जिसमें गर्मियों में हर 10 से 12 दिनों में सिंचाई करनी चाहिए वह फल लगने पर ही प्रारंभिक अवस्था में सिंचाई की आवश्यकता होती हैं कीवी में फल लगने का समय अक्टूबर-नवंबर होता है
कीवी की खेती में होने वाले रोग और उनकी रोकथाम के उपाय
कीवी की खेती में मुख्य था पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे पढ़ते हैं वह श्वेत ऋतु में मुरझा जाती हैं इन पत्तियों के पीले धब्बे देखकर जीवाणु नाशक का छिड़काव करें व ध्यान रखें कि पौधों में फल आने से पहले ही आप उसका रोकथाम कर सकें वह जड़ों में होने वाली समस्या जलभराव के कारण होती है जिसमें अच्छी जल निकासी की व्यवस्था हो तो इस तरह की रोगों से बचा जा सकता है
कीवी की खेती से कितनी कमाई हो सकती है
भारत में कई किसान कीवी की खेती पर अच्छी आमदनी अभी का फल ₹25 से ₹35 प्रति फल के हिसाब से बाजार में बिकता है जो कि एक बहुत अच्छा भाव है व कई किसान आसानी से प्रति एकड़ ₹800000 तक की आमदनी कर सकते हैं जोकि अन्य फसलों से कोई ज्यादा है और बढ़ती हुई मांग को देखकर भविष्य में इसकी खेती लाभप्रद होगी